अंबाड़ी भारत के लगभग सभी हिस्सों में पाया जाता है। अलग-अलग जगहों पर आमरी, गोंगुरा, सन, पेटुवा आदि तमाम नामों से जाना जाता है। इसके फलों और पत्तियों की सब्जी पत्तियो चटनी, शर्बत आदि बनाकर उपयोग में लाया जाता है । इसकी पत्तियां, फूल और फल सभी एक खटास लिए होते हैं इसलिए ग्रामीण इलाकों में इसे खट्टी सब्जी (भाजी)भी कहते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेड्स, फाइबर्स के अलावा अनेक खनिज लवण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। पोटेशियम और मैग्नेशियम जैसे सेहत की दृष्टि से महत्वपूर्ण तत्वों के अलावा इसकी पत्तियों में विटामिन्स (एस्कॉर्बिक एसिड, नियासिन और पायरीडोक्सिन) भी पाए जाते हैं। इसकी सब्जी एंटीमाइक्रोबियल होने के साथ-साथ, एंटी कैंसर और एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है। ग्रामीण इलाकों में तो इसकी पत्तियों और फलों को लोग अक्सर कच्चा चबाकर भी खूब आनंद लेते हैं।
किसानों के लिए यह दूसरे कई मायानों मे भी अपनी उपयोगिता रखता, परम्परागत कृषि कार्य में रस्सी का उपयोग महत्वपूर्ण होता है। जिसके लिए इसका उपयोग किया जाता है साथ ही यह चारे के रूम मे उपयोग किया आता है इसकी लकड़ी जलावन के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। इसके डंठल से निकले रेशे का उपयोग रस्सी, बान बनाने से लेकर कागज आदि से लेकर तमाम चीजों के बनाने मे उपयोग किया जाता है। घरेलू सजावट की भी तमाम वस्तुओं में इसका उपयोग किया जाता है।
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