Wednesday 1 June 2022

भारत में श्वेत क्रांति का जनक, जिसने खुद कभी दूध नहीं पिया

डॉ वर्गीज कुरियन जो खुद कभी दूध नहीं पीता था लेकिन भारत में श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है।  आज उन्हें इसलिए याद किया जा रहा है क्योंकि आज विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day) मनाया जा रहा है। भारत की सामाजिक संरचना में Racist व्यवहार बहुत ही गहराई तक शामिल है। वह मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों पर भी उतना ही लागू होता है इसीलिए भारत में कभी भी भैंस को वरीयता नहीं दी गई बल्कि गायों को वरीयता मिलती रही क्योंकि वह सुंदर और सफ़ेद होती है। जबकि भैंस, गायों की तुलना में अधिक दुग्ध उत्पादन करती हैं। उत्पादन के साथ-साथ भैंसों के दूध में वसा की मात्रा भी अधिक पाई जाती है। भारत में राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक तौर पर गाय शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है।  इसलिए लिए भैंस को बहुत अधिक वरीयता नहीं दी जाती, नस्लीय भेद किया जाता है लेकिन युवाल नोह हरारी ( द होमोसेपियन) के अनुसार देखें तो आज न मनुष्य के जीन्स में शुद्धता पाई जाती है और ना ही जानवरों के फिर भी भारत में देशीनस्ल और विदेशीनस्ल पर बहस लगातार जारी रहती है जो खत्म होने का नाम नहीं लेती। तार्किकता के तौर पर इस बात की स्वतः पुष्टि करें तो यह बात अपने आप में    स्पष्ट दिखाई देती है कि वर्तमान समय में नस्लों में किसी तरह की शुद्धता को मापना मूर्खता ही होगी। खैर हम बात कर रहे थे विश्व दुग्ध दिवस की, भारत में सन 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा शुरू की गई योजना भारत को दूध उत्पादन का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया और यहीं से शुरू होती है श्वेत क्रांति!

डॉ वर्गीज कुरियन ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर कैरा जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ जो कि भारत में अमूल के नाम से प्रसिद्ध है से जुड़ गए और देखते ही देखते इस संस्था को इन्होंने देश का सबसे सफल संस्थान के तौर पर स्थापित कर दिया। अमूल की कामयाबी को देखते हुए तत्काल प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का गठन किया और डॉक्टर कुरियन वर्गीय के अमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि बिना धन के इस संस्थान को कैसे चलाया जाए। तत्काल प्रधानमंत्री से मशवरे पर वर्ल्ड बैंक से लोन लेने की योजना पर कार्य शुरू हुआ लेकिन वर्ल्ड बैंक के भारत दौरे के दौरान वह इस योजना से बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुए लेकिन कुछ दिनों बाद वर्ल्ड बैंक में कर्ज की मंजूरी दे दी। कुरियन ने यह कर्ज लेते हुये कहा कि आप मुझे धन दीजिए और उसके बारे में भूल जाइए!


और यहां से शुरू होता है ऑपरेशन फ्लड जिसके तहत बहुत सारे निर्णय लिए गए जैसे दुग्ध से बहुत सारे उत्पाद बनाना, जिनमें सूखे और अधिक दिनों तक उपयोगी बनाए रखने वाले उत्पाद शामिल थे।  दूध को इक्कठा करने उन्हें प्रोसेस करने आदि के लिए समुचित और जगह-जगह सयंत्र लगाए गए। दूध उत्पादन से जुड़े लोगों को ट्रेंड किया गया और एक जगह से दूसरी जगह चेन सप्लाई की व्यवस्था की गई। लेकिन इस ऑपरेशन के तहत सबसे बड़े और जरूरी काम जो हुए वह थे मवेशियों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना, टीके लगाना और क्रॉसब्रीड के लिए विदेशों से सीमन (sperm) मंगाना, अधिक दूध देने वाली नस्लों को भारत में मंगाना। जिसमें जर्सी आदि गाय शामिल हैं लेकिन जर्सी के मुकाबले देश की देसी भैंसों और गायों को भौगोलिक स्थिति के अनुकूल उनकी नस्लों में सुधार कर उत्पादन को और अधिक बढ़ाना शामिल था।


राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों को दूध के मामले में अधिक उत्पाद के तौर पर तैयार कर देना यह सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर शामिल है इसीलिए भारत में डॉ वर्गीज कुरियन को श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है। 1976 में श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित फिल्म 'मंथन' जो कि 'अमूल' के संघर्ष की पूरी कहानी को दिखाया गया है। यह डॉक्यूमेंट्री (फीचरफिल्म) भारत में दुग्ध क्रांति के इतिहास और संघर्ष को उजागर करती है। आज विश्व दुग्ध दिवस को मनाया जाता है भारत में दूध के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले डॉ. वर्गीज़ कुरियन को इस लिए याद किया जाना जरूरी हो जाता है।...   






    

Naresh Gautam 
nareshgautam0071@gmail.com

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