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Friday, 2 August 2019
Sunday, 17 March 2019
ITOKRI ने दिया सैकड़ों महिलाओं को रोजगार (परिवर्तन की बयार)
ITOKRI (www.itokri.com) ग्वालियर में मौजूद एक ऐसा संस्थान है जो बाजार में हजारों विकल्पों के
बाद भी अपनी एक अलग पहचान रखता है। आधुनिकता के साथ संस्कृति और समुदायों के कला
संस्कृतियों के संगम जैसा, जहाँ आप को एक ही छत के नीचे वह सब कुछ उपलब्ध हो सकता है
जिसका आज के दौर में वजूद मिटता जा रहा है। यहाँ आपको उत्तर से लेकर दक्षिण और
पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी जगह के हस्तशिल्प और हस्तकरघा वस्त्रों की झलक एक साथ
मिलती है। लगभग सभी प्रदेशों के परम्परागत परिधान या कला संस्कृति से जुड़े
परिधानों का एक बेहतरीन प्लेटफार्म कहा जा सकता है। यह एक बेहतरीन शिल्प मेले का
जीवंत ऑनलाइन रूप है। जहाँ देश भर के पारम्परिक कारीगरों की कृतियां देसी एवं
अंतरराष्ट्रीय चाहने वालों के लिए सहज रूप से उपलब्ध हैं, ढ़ेर सारे प्यार और नज़ाकत के साथ जैसे इसके नाम से इंगित
होता है। आधुनिकता के साथ संस्कृति की एक आधुनिक टोकरी है “ITOKRI”...
ITOKRI किसी भी अन्य संस्थान से कैसे अलग हो जाता है, यह बात अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। दरअसल उसका अलग होना ही
उसकी अपनी पहचान को बनाता है। इसकी शुरुआत 2011 में एक छोटे से संस्थान या कहें कि एक वेबसाइट (www.itokri.com) के जरिये नितिन और उनके
दोस्तों द्वारा की गई।
इस संस्थान का मूल उद्देश्य पैसा कमाना नहीं हैं यदि पैसा ही कमाना होता तो
नितिन के पास पिता का पूरा व्यवसाय था। लेकिन उन्हें तो अपनी ही धुन सवार थी, कि
उन्हें अपना कुछ करना है। और ऐसा जहाँ समाज को नई दिशा मिल सके। खास कर महिलाओं को, जिनके पास हुनर तो है लेकिन उसकी पहचान और निखारने का मौका
उनके पास नहीं होता। उसी मौके और उनके अंदर के रचनात्मकता को उभारने का काम ITOKRI
करता है। ITOKRI आज 100 से अधिक महिलाओं को सीधे रोज़गार से जोड़ चुका है। और
परोक्ष रूप से तकरीबन 5000 से अधिक कारीगर परिवारों का रोज़गार आई.टोकरी पर निर्भर है।
ITOKRI के फाउंडर नितिन ने अपनी शिक्षा हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की और फिर थियेटर से होते हुए
डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण की दुनियाँ भी देखी। साथ ही छात्र राजनीti में भी
सक्रिय रहे, फिल्म
और डॉक्यूमेंट्री निर्माण में उन्होंने अपने कौशल का लोहा मनवाया। 'ब्लैक पम्फ्लेट्स' और जनकवि विद्रोही पर बनायी गयी फिल्म "मैं तुम्हारा कवि
हूँ", कविता
और कवि के सम्बन्ध को गहराई से दर्शाती है। इस फिल्म को राष्ट्रीय और
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काफी सराहा गया और बहुत से पुरस्कारों से नवाजा भी गया।
नितिन को नयी दुनियाँ और वहाँ छुपे कला कौशल को देखने की बैचैनी हस्तशिल्प और
हस्तकरघा की दुनिया में खींच लायी। जहाँ दोस्तों की मदद से ITOKRI
का सफर शुरू हुआ।
ITOKRI की को-फाउंडर “जिया” का सफर भी कुछ ऐसा ही रहा, जिया का बैकग्राउंड बायो केमिस्ट्री का रहा है, लेकिन ज्वैलरी बनाना उनका शौक था। उन्होंने इस शौक को
कैरियर के तौर पर लिया। और उसे अधिक निखारने के लिए ‘पीपल ट्री’ दिल्ली के एक संस्थान से ट्रेनिंग ली। इसके बाद पिछले सात
वर्षों से ग्वालियर में ITOKRI के सफर से जुडी हुई हैं। ITOKRI के सारे स्टाफ साथियों की देख-रेख इन्हीं के भरोसे है।
चूंकि ITOKRI
एक कंपनी कम परिवार ज्यादा है, इसलिए सबके सुख-दुःख और कहानियां इन्हीं के पास आती हैं, एक
दर्शक की तलाश में।
ITOKRI कैसे
काम करता है...
ITOKRI के काम करने का तरीका औरों से काफी अलग है। देश के लगभग
सारे राज्यों के सांस्कृतिक कलेक्शन वाले परिधान एक ही छत के नीचे मुहैया कराने
उन्हें ऑनलाइन ग्राहकों तक पहुँचाने का काम करता है। राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय सभी
जगह बहुत ही कम समय में डिलीविरी और ग्राहकों को संतुष्टि ही इसका एक मात्र
उद्देश्य है। ग्राहकों के साथ-साथ यहाँ काम करने वाले वर्करों के लिए भी यह एक
कंपनी नहीं बल्कि घर जैसा है। यहाँ काम, काम की तरह नहीं बल्कि काम को सहज एवं मनोरंजक तरीके से
करने का हुनर भी सिखाया जाता है। लगभग हर महिला वर्कर को कम्प्युटर से लेकर कस्टमर
केयर तक के सभी काम आते हैं। उनका कोई बॉस नहीं और न ही उनका कोई टीम लीडर होता
है।
कंपनी अपनी वर्कर प्रोफाइल में यह नहीं देखती कि उसे क्या आता है? उसने कहाँ
तक पढ़ाई की है बल्कि उनके अंदर की रचनात्मकता क्या है? उसके आधार पर उसका चयन होता है। जहाँ लगभग आज के दौर में
सारी कंपनियां एम्पलॉय को लेते वक्त उसका एक्सपीरियंस देखती हैं। कहाँ और कितनों
दिनों तक काम का उसका अनुभव रहा है। लेकिन ITOKRI अनुभव नहीं देखती बल्कि वह खुद उसे अनुभवी बनाती है। साथ ही
हर ग्राहक को वह उसके किए गए ऑर्डर के साथ एक हस्त लिखित चिट्ठी और हस्त निर्मित गिफ्ट
भेजती है। चिट्ठियाँ लिखने का काम भी सभी को करना होता है। ग्राहक ने कितनी बार खरीददारी
की है, चिट्ठी उसी के अनुसार भेजी जाती है। आई.टोकरी
का मूल उद्देश्य ग्राहक की संतुष्टि के साथ अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ने
का है।
पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे इसलिए कम से कम से प्लास्टिक का
इस्तेमाल आई.टोकरी में किया
जाता है। पैकिंग के लिए पेपर और हस्त निर्मित बॉक्स (दफ्ती) को इस्तेमाल में लाया जाता
है। ताकि उसे अन्य काम के लिए भी इस्तेमाल किया जा सके!
वहाँ काम करने वाली सबसे पुरानी महिलाकर्मी किरन बताती हैं कि
मैं पिछले सात साल से यहाँ काम कर रही हूँ। मुझे इससे पहले कोई काम नहीं आता था।
पर जब मैं काम के लिए आई तो दीदी (जिया) ने मुझे काम पर रख लिया। पहले यहाँ तमाम
तरह के काम किए। लेकिन दीदी ने मेरे अंदर के हुनर को पहचाना और मुझे “जलपरी” सेक्शन में जगह मिली जहाँ ज्वैलरी बनती है। आज मैं एक कुशल
ज्वैलरी कारीगर हूँ। मेरी कई सहयोगी महिला कर्मी हैं। मुझे क्या बनाना है, कैसे बनाना है। बाजार की क्या माँग है, यह मैं कई बार खुद ही तय करती हूँ। ऑफिस आने का कोई समय
नहीं है जब आप का मन करे आ सकते हैं और जा भी सकते हैं। बस आप को अपने काम की
जिम्मेदारी खुद संभालनी होती है। सुबह यदि जल्दी आना होता तो ब्रेकफ़ास्ट यहीं
मिलता है। आप को जैसे काम करना है आप स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं किसी भी तरह
का कोई दबाव नहीं बनाया जाता है। आज मेरे घर के दो बच्चे और मैं यहाँ काम कर रही
हूँ। जब इसकी शुरुआत हुई थी तो यहाँ सिर्फ 6 से 7 लोग ही काम करते थे और आज 100 से अधिक महिलाएँ यहाँ काम करती हैं, खासकर वह जो पढ़ना-लिखना चाहती हैं और साथ कुछ काम भी करना
चाहती हैं। परीक्षा और क्लास के लिए हुई छुट्टियों का पैसा नहीं काटा जाता है।
अंजुम खान बताती हैं कि मैं पिछले छः साल से यहाँ काम कर रही हूँ। साथ ही पढ़ाई
भी जारी है। अगर घर में रहती तो अभी तक शादी हो गई होती लेकिन ITOKRI
ने मुझे नौकरी के साथ पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। मैंने
एम.कॉम पूरा कर लिया है। आगे की पढ़ाई के साथ ही कंपटीशन कि तैयारी भी कर रही हूँ।
यहाँ मैं अकाउंट से लेकर सेल्स तक का सब काम जानती और करती हूँ। जब मैं यहाँ आई थी
तो मुझे किसी भी तरह के काम का कोई भी अनुभव नहीं था। खास कर मैं लोगों से बात
करने से बहुत डरती थी। लेकिन आज मैं कस्टमर से लेकर सारे काम संभालती हूँ। ITOKRI
से मुझे घर जैसा प्यार और प्रोत्साहन मिला तभी तो मैं आगे
बढ़ पायी हूँ। मेरे यह पूंछने पर कि कहीं और अधिक सैलरी मिले तो क्या वहाँ
जाना नहीं चाहोगी? तो अंजुम बताती हैं कि कई बार ज्यादा पैसे मायने नही रखते
क्योंकि सब कंपनियों में आप को यहाँ जैसा माहौल नहीं मिलेगा। यहाँ समय और काम की
बाध्यता नहीं है। आप निर्णय लेने के लिए भी स्वतंत्र होते हैं। जैसे भी चाहे वैसे
काम कर सकती हूँ। न छुट्टियों की दिक्कत होती है और नहीं कभी सैलरी की। मेरी दो
बहने भी यहाँ काम कर रही हैं। उनकी भी पढ़ाई निरंतर चल रही है। और यह सब संभव हो
पाया तो ITOKRI के माध्यम से…
लवेश मधावनी अपने बारे में बताते हैं कि मुझे भी किसी तरह के काम का अनुभव
नहीं था। अंडर प्रोसेस टीम में आया था, और धीरे-धीरे मुझे अपने अंदर के कलाकार को पहचानने का मौका ITOKRI
ने दिया आज मैं प्रॉडक्ट फोटोग्राफी संभाल रहा हूँ। साथ ही
मुझे यहाँ के हर तरह के काम में कौशल प्राप्त है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यहाँ
काम करने की पूरी आजादी है। काम के आठ घण्टे तो निर्धारित हैं, अब आप पर निर्भर करता है कि कब आना है और कब जाना है।
वैसे ही एक और टीम हैं जो सब कुछ करने में सक्षम है उन्हें आल इन वन के नाम से
जाना जाता है। उस टीम में प्रियंका (22), उपसाना (22) और वैशाली (21) आदि हैं वह भी अपने बारे में और काम के अनुभव साझा करते समय
प्रफुल्लित हो कर बताती हैं कि यहाँ काम करने के बाद हमारे व्यक्तित्व में बहुत बदलाव
आया है। अब घर से बाहर निकलने और किसी से बात करने में डर नहीं लगता। अपने काम हम
खुद ही करते हैं वह चाहे घर के हो या स्कूल कॉलेज के हो। वैसे तो लड़कियों को काम
करने की आजादी नहीं दी जाती। यदि कहीं काम मिल भी जाए तो समाज में ऐसा माहौल नहीं
है कि कार्य-स्थाल पर सेफ महसूस कर पायें पर ITOKRI के सारे स्टाफ और अन्य लोगों के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है
एकदम पारिवारिक माहौल यहाँ मिलता है। हर व्यक्ति एक दूसरे को सिखाने का काम करता
है कोई किसी की टाँग खींचने या छोटा दिखाने की कोशिश नहीं करता। सब एक दूसरे के
काम में सहयोग करते हैं। काम की शिफ्टें रोटेड होती रहती हैं। इसलिए सब को सब कुछ
सीखने का मौका भी मिलता रहता है। फ़्रेशर आये लोगों में काम करने की कैप्सिटी है या
नहीं,
उनके अंदर कितनी रचनात्मकता है। यही यहाँ देखा जाता है। और
उसके लिए उसको पर्याप्त समय भी दिया जाता है। जो भी आप ने पढ़ा लिखा है, जाना समझा है, वो वाकई में जाना है या नहीं इसी बात का परीक्षण कर चुनाव किया जाता है।
वैसे यहाँ आने वाले किसी भी व्यक्ति को काम से निकाला नहीं जाता यदि वह खुद छोड़ के
चला जाए तो अलग बात है। आज मैं किसी से भी मुखर हो कर बात कर सकती हूँ। उसका कॉन्फिडेंस
ITOKRI के साथ काम करके ही आया है।
रानू जो ITOKRI के अकाउंट सेक्शन को देखती हैं। उम्र में तो वह काफी छोटी
हैं लेकिन उनके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी नहीं है। रानू ने ही मुझे ITOKRI की सारी गतिविधियों से परिचित कराया। रानू के भी अपने अनुभव
लगभग वैसे ही हैं। घर का सपोर्ट करने के लिए नौकरी की थी आज वह सारे कामों में
मास्टर हो चुकी हैं। सारे डिपार्टमेन्टस के काम उन्हें बखूबी आते हैं। उनकी एक और बहन
यहीं काम करती है। दोनों ही अकाउंट(B.COM.) में पढ़ाई कर रही हैं। साथ ही ITOKRI में तमाम तरह के किरदारों को भी निभा रही हैं। यह आसानी से
कहा जा सकता है कि ITOKRI एक खुशमिजाज़ और जीवंत अनुभवों से भरी हुई जीवट टोली की तरह
है जो नीरस और ऑटोमेटेड व्यापारिक जगत में भीनी सी खुशबू फ़ैलाने की कोशिश करती है।
सीधे,
सच्चे और सरल मन से...
ऐसी तमाम कहानियों से भरा है ITOKRI का यह सफर जो नए बदलाव की कहानी कहता है। ITOKRI
को उसकी टैग लाइन भी औरों से अलग बनाती हैं... जहाँ समाज एक
तरफ आधुनिकता के साथ कदम बढ़ा रहा है वहीं ITOKRI गावों और कस्बों की सांस्कृतिक धरोहरों और कलाओं को विश्व
फ़लक पर लाने का काम कर रहा है। साथ ही बहुत से परिवारों के लिए रोजगार का साधन भी
मुहैया करा रहा है।
यह एक उत्सव की दावत है...भारतीय रचना और संवाद का उत्सव!!!
हम उत्सव मनाएंगे उन लाखों कबीलाई जातियों की तरह जो ख़ुशी
में, गम में, मृत्यु में, प्रतिरोध में नाचती आई हैं बिना किसी की परवाह किये हुए... अपने स्वपनों, अपनी चिंताओं के साथ...
उन्मुक्तता से!!!
Naresh Gautam & Rohit
Kumar
8007840158
nareshgautam0071@gmail.com
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